वो अपने नसीब की बेरुखी पर शर्माते हैं,
अपना हर ग़म दोस्तों से छिपाते हैं,
दर्द ये नहीं की वो याद नहीं करते,
याद तो करते हैं पर बात करने से कतराते हैं.
अपना हर ग़म दोस्तों से छिपाते हैं,
दर्द ये नहीं की वो याद नहीं करते,
याद तो करते हैं पर बात करने से कतराते हैं.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें